*छोटे साहिबजादों की शहादत को नमन, पूरा देश इन महान शहीदों के महान बलिदान के सामने नतमस्तक-नवजीत भारद्वाज*

*छोटे साहिबजादों की शहादत को नमन, पूरा देश इन महान शहीदों के महान बलिदान के सामने नतमस्तक-नवजीत भारद्वाज*
*श्री शनिदेव महाराज जी के निमित्त श्रृंखलाबद्ध सप्ताहिक दिव्य हवन यज्ञ का आयोजन*


जालंधर :(सुनील कुमार)मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी नजदीक लम्मां पिंड चौक में श्री शनिदेव महाराज के निमित्त श्रृंखलाबद्ध हवन यज्ञ का आयोजन मंदिर परिसर में किया गया। मां बगलामुखी धाम के संचालक एवं संस्थापक नवजीत भारद्वाज ने बताया कि पिछले 11 वर्षों से श्री शनिदेव महाराज के निमित्त हवन यज्ञ जो कि नाथां बगीची जेल रोड़ में हो रहा था इस महामारी के कारण वश अल्पविराम आ गया था अब यह हवन पिछले लगभग अढ़ाई साल से मां बगलामुखी धाम गुलमोहर सिटी में आयोजित किया जा रहा है। सर्व प्रथम मुख्य यजमान अरुण कुमार से वैदिक रीति अनुसार गौरी गणेश, नवग्रह, पंचोपचार, षोडशोपचार, कलश, पूजन उपरांत ब्राह्मणों ने आए हुए सभी भक्तों से हवन-यज्ञ में आहुतियां डलवाई । इस सप्ताह श्री शनिदेव महाराज के जाप उपरांत मां बगलामुखी जी के निमित्त भी माला मंत्र जाप एवं हवन यज्ञ में विशेष रूप आहुतियां डाली गई। हवन-यज्ञ की पूर्णाहुति के उपरांत नवजीत भारद्वाज ने आए हुए भक्तों को सिख समाज के स्वर्णिम इतिहास से रूबरू करवाया। नवजीत भारद्वाज जी ने ‘निक्कियां जिंदा, वड्डा साका’ की पंक्तियां कहकर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों की शहादत को याद किया और नम आँखों से नमन भी किया।
नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे बेटों को सिख धर्म में छोटे साहिबजादों के नाम से याद किया जाता है। हिंदू धर्म की रक्षा के लिए हिंद की चादर श्री गुरु तेगबहादुर जी ने अपना बलिदान दिया। उन्हीं के पदचिह्नों पर चलते हुए श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने भारत की आन-बान और शान के लिए चारों साहिबजादों बाबा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह, फतेह सिंह और उनकी दादी माता गुजर कौर जी का बलिदान दिया।
नवजीत भारद्वाज जी ने सिख इतिहास के पन्नों में दर्ज महान शहीदी को याद करते हुए बताया कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के बड़े साहिबजादों बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह ने चमकौर के मैदान में मुगलों से लड़ते हुए शहादत पाने के बाद पांच प्यारों के हुक्म पर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने आनंदपुर का किला खाली कर दिया। किले से निकलने के बाद सरसा नदी को पार करते हुए तेज बहाव में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का परिवार बिछड़ गया, जहां से श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के अलग दिशा में और गुरु माता गुजरी छोटे साहिबजादों के साथ अलग दिशा में चले गए। एक रसोइये गंगू की मुखबिरी पर छोटे साहिबजादों और गुरु माता गुजरी जी को गिरफ्तार करके सरहिंद के मुगल बादशाह वजीर खान के सामने पेश किया गया, जिसने पांच और सात वर्ष की छोटी सी आयु के उन बच्चों पर धर्म बदलने के लिए अनेकों प्रकार के दबाव लालच दिए लेकिन साहिबजादों ने उनकी बात नहीं मानी, जिसके चलते उन मासूमों को जिंदा ही दीवारों में चिनवाकर शहीद कर दिया गया था। नवजीत भारद्वाज जी ने कहा कि पूरा देश इन महान शहीदों के महान बलिदान के सामने नतमस्तक होता है।
इस अवसर पर अशोक शर्मा,राकेश प्रभाकर, बलजिंदर सिंह, समीर कपूर, एडवोकेट राज कुमार,अमरजीत सिंह,वावा जोशी, नवदीप, उदय,अजीत कुमार,गुलशन शर्मा, अश्विनी शर्मा धूप वाले, मुनीश शर्मा, दिशांत शर्मा,अमरेंद्र कुमार शर्मा, मानव शर्मा, बावा खन्ना, विवेक शर्मा, शाम लाल, अभिलक्षय चुघ,सुनील,राजीव, राजन शर्मा, प्रिंस, ठाकुर बलदेव सिंह,गौरी केतन, रिंकू सैनी, दिनेश शर्मा, अजय मल्होत्रा, अजीत साहू,प्रवीण, दीपक ,अनीश शर्मा, साहिल,सुनील जग्गी , डॉ मुकेश गुप्ता, वरुण सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।
आरती उपरांत प्रसाद रूपी लंगर का भी आयोजन किया गया

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